चुनाव हारते ही बिखरने लगी अरविंद केजरीवाल की पार्टी, MCD में भी हो गया खेल

नई दिल्ली: कहते हैं कि जब बुरा वक्त आता है तो चारों तरफ से आता है. जो साथी होते हैं वही साथ छोड़ कर जाते हैं. ऐसा ही कुछ हो रहा है दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के साथ. दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पहली बार केजरीवाल को हार मिली. लगातार चौथी बार सीएम बनने का सपना टूटा. हार भी इतनी बुरी तरह मिली जिसकी उम्मीद नहीं थी, लेकिन अब पार्टी का टूटना भी शुरू हो चुका है.

जिन नेताओं पर केजरीवाल भरोसा करते थे, जिन्हे चुनाव लड़ने के लिए टिकट देते थे. आज वही नेता केजरीवाल की झाड़ू छोड़ कर कमल थामने लगे हैं. ऐसा लग रहा है कि मानो 11 साल से सत्ता का सुख भोग रही AAP के सबसे बुरे दिन शुरू हो गए हैं. ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि केजरीवाल की पार्टी के कुछ प्रमुख पार्षदों ने AAP को छोड़ दिया है. अप्रैल में MCD महापौर का चुनाव होना है.

ऐसे में पार्षदों के जाने से महापौर चुनाव में भी केजरीवाल को हार होती दिखने लगी होगी. वीरेंद्र सचदेवा ने आप पार्षदों को बीजेपी की सदस्यता दिलाई है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एंड्रूस गंज से AAP पार्षद अनिता बसोया, हरिनगर वार्ड नंबर 183 से पार्षद निखिल चरपाना और आरकेपुरम वार्ड से पार्षद धर्मवीर सिंह को बीजेपी की सदस्यता दिलाई है. इस दौरान वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ये सभी नेता बीजेपी के काम से प्रभावित हैं.

. पिछले चुनाव में AAP के महेश खिंची ने BJP के किशन लाल को 3 वोटों से हराया था.

. उस समय 263 वोट डाले गए थे, जिसमें खिंची को 133, किशन लाल को 130 वोट मिल थे, 2 वोट अवैध घोषित हुए थे.

. MCD में कुल 250 पार्षद सीटें हैं, इनमें से 11 पार्षद अब सांसद और विधायक बन चुके हैं.

. अब कुल 239 पार्षद MCD में बचे हुए हैं.

. AAP के पास 119 पार्षद हैं

. BJP के पास 113 पार्षद हैं

. जबकि कांग्रेस के पास केवल 7 पार्षद हैं

. AAP के 3 पार्षदों के निकल जाने के बाद उसके पास केवल 116 बचे हैं.

इस तरह अगर देखा जाए तो दोनों पार्टियों के बीच केवल 3 पार्षदों का अंतर रह गया है. इसीलिए केजरीवाल को डर है कि राज्य की सत्ता तो गंवा दी है. अब कहीं MCD का कंट्रोल भी निकल कर बीजेपी के पास ना चला जाए. इसके साथ ही AAP के कई और नेता भी अब पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं. कहा जा रहा है कि कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं.

यानि कि अरविंद केजरीवाल का बुरा टाइम चारों तरफ से शुरू हो चुका है. हर जगह उन्हें हार का मुंह देखना पड़ रहा है. कुछ दिन पहले तक उन्हें विपक्ष के सबसे बड़े नेताओं में गिना जा रहा था, लेकिन अब अपने ही राज्य की MCD में सरकार बचाना भी उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है.